आदर्श प्रेम
हरिवंशराय बच्चन / आदर्श प्रेम
प्यार किसी को करना लेकिन
कह कर उसे बताना क्या
अपने को अर्पण करना पर
और को अपनाना क्या
गुण का ग्राहक बनना लेकिन
गा कर उसे सुनाना क्या
मन के कल्पित भावों से
औरों को भ्रम में लाना क्या
ले लेना सुगंध सुमनों की
तोड़ उन्हें मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिन
प्रेम पाश फैलाना क्या
त्याग अंक में पले प्रेम शिशु
उनमें स्वार्थ बताना क्या
दे कर हृदय हृदय पाने की
आशा व्यर्थ लगाना क्या
Ravi Goyal
15-Dec-2021 09:50 AM
बहुत खूबसूरत रचना 👌👌
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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
15-Dec-2021 09:10 AM
Nice
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Swati chourasia
15-Dec-2021 07:23 AM
Very beautiful 👌
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